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अनाथ और सड़कछाप दोनों है पर लड़का दिल का भला है. अनाथ आश्रम चलाने के लिए चोरियां करता है पर एक दिन अचानक नकचढ़ी लड़की के प्यार में पड़ जाता है. नकचढ़ी लड़की शुरुआत में तो नखरे दिखाती है पर धीरे-धीरे उस सड़कछाप लड़के से मोहब्बत करने लगती है. कुछ इस तरह फिल्म ‘बेशरम’ के कहानी की शुरुआत होती है.
फिल्म बेशरम
निर्माता:संजीव गुप्ता, हिमांशु किशन मेहरा
निर्देशक:अभिनव सिंह कश्यप
संगीत:ललित पंडित
कलाकार:रणबीर कपूर, पल्लवी शारदा, ऋषि कपूर, नीतू सिंह, जावेद जाफरी
फिल्म रेटिंग: ** ½
बेशरम फिल्म की कहानी
फिल्म ‘यह जवानी है दीवानी’ में जहां रणबीर कपूर एक दिलफेंक रोमियो के किरदार में नजर आए थे वहीं दूसरी तरफ अभिनव सिंह कश्यप के रंग में रंगकर बेशरम में बदमाश बबली के रूप में नजर आ रहे हैं. एकदम टपोरी अंदाज, मुंबई वाला नहीं दिल्ली वाला.
‘बेशरम’ फिल्म की शुरुआत एक जबरदस्त सीन से होती है और उसके बाद एक हिट गाना दिखाया जाता है. हीरो की तमाम हरकतों के साथ फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाया जाता है. फिल्म फर्स्ट हाफ तक सरपट दौड़ती है. ऋषि कपूर और नीतू सिंह के किरदार भी फिल्म को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं, लेकिन दूसरे हाफ में फिल्म थोड़ी कमजोर पड़ जाती है. गाने और फाइट सीन डालकर दर्शकों को बहलाने की कोशिश की गई है, लेकिन यह ट्रिक लगातार काम नहीं करती है.
‘बेशरम’ का निर्देशन
‘दबंग’ जैसी सफल फिल्म देने के कारण निर्देशक अभिनव कश्यप पर जबरदस्त दबाव रहा होगा इसलिए उन्होंने अपनी दूसरी फिल्म ‘बेशरम’ को निर्देशित करने में काफी लंबा समय लिया. कुछ नया करने की बजाय अभिनव कश्यप ने फिल्म ‘बेशरम’ में सुरक्षित दांव खेला है. इस फिल्म में उन्होंने आजमाए हुए फॉर्मूलों को ही फिर से दोहराया है.
फिल्म में प्रेम कहानी दिखाई गई है, लेकिन हीरो-हीरोइन की केमिस्ट्री में दम नहीं होने से प्रभाव कम हो गया. बेशरम फिल्म के क्लाइमैक्स में कुछ नया नहीं सूझा तो ‘शोले’ और ‘गदर’ जैसी फिल्मों से माल उधार ले लिया गया पर लगता है कि अभिनव कश्यप भूल गए कि आजकल के दर्शक काफी होशियार हो चुके हैं.
क्यों देखें: यदि आपको फालतू की कॉमेडी पसंद है तो.
क्यों ना देखें: यदि आप सिर्फ स्टार के कारण फिल्म देखने में विश्वास नहीं रखते हैं तो.
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