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डेंजरस इश्क के आगे नहीं चले इश्कजादे – फिल्म समीक्षा

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आज के फिल्मी फ्राइडे पर बॉलिवुड की दो बड़ी फिल्में प्रदर्शित हुई हैं. डेंजरस इश्क के जरिए करिश्मा कपूर खुद को फिर एक बार नंबर वन हिरोइन साबित करने की कोशिश कर रही हैं वहीं दूसरी फिल्म इश्कजादे दो उभरते हुए कलाकारों को दर्शकों के दिल में उतरने का अवसर दे रही है.


dangerousडेंजरस इश्क

निर्माता – अरुण रंगाचारी

निर्देशक – विक्रम भट्ट

संगीत – हिमेश रेशमिया

कलाकार – करिश्मा कपूर, रजनीश दुग्गल, जिमी शेरगिल, दिव्या दत्ता, आर्य बब्बर, ग्रेसी सिंह, समीर कोचर

रेटिंग – ***


फिल्म की कहानी

डेंजरस इश्क सुपरमॉडल संजना (करिश्मा कपूर) और रोहन (रजनीश दुग्गल) की प्रेम कहानी है. रोहन एक बहुत ही बड़े बिज़नेसमैन का बेटा है जो संजना से बहुत प्रेम करता है. एक दिन रोहन और संजना को पेरिस जाना होता है, लेकिन जैसे ही पेरिस जाने का समय आता है बेहतरीन मॉडलिंग ऑफर के लिए संजना वहां जाने से मना कर देती है और उसे लगता है रोहन को भी नहीं जाना चाहिए इसीलिए वह उसे भी रोक लेती है. इस बीच रोहन का अपहरण हो जाता है. किडनैपर 50 करोड़ रुपये की मांग करते हैं और पुलिस का मानना है कि इतनी भारी रकम देने के बावजूद रोहन की जान बचानी मुश्किल है. अचानक संजना को एक अजीब सी शक्ति का अनुभव होता है. उसे अतीत से जुड़े तरह-तरह के दृश्य नजर आते हैं, जो विभिन्न समय के हैं. शुरू में तो उसे समझ नहीं आता कि यह सब क्या है लेकिन धीरे-धीरे उसे ऐसे क्लू नजर आते हैं जिसकी सहायता से वह रोहन को बचा सकती है.


फिल्म समीक्षा

छ: साल बाद पर्दे पर वापसी कर कर रही करिश्मा कपूर एक बार फिर दर्शकों को आकर्षित करने में सफल नजर आई हैं. रोहन की भूमिका में रजनीश दुग्गल ने भी अपने पात्र को बखूबी निभाया है. साहेब, बीवी और गुलाम के बाद जिम्मी शेरगिल ने फिर से एक दमदार भूमिका निभाई है.


निर्देशक विक्रम भट्ट इसी विषय पर पहले भी एक फिल्म फिर बना चुके हैं जो बुरी तरह फ्लॉप साबित हुई थी. लेकिन इस बार उन्होंने अपनी कोई गलती दोबारा नहीं दोहराई है. जिस रहस्य और रोमांच को फिल्म की थीम बनाया गया था वह दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है. फिल्म के सभी पक्ष बेहद मजबूत हैं लेकिन गानों में दम नहीं है. फिल्म में गाने बहुत कम हैं जो दृश्यों और कहानियों के हिसाब से बिलकुल फिट बैठते हैं.


डेंजरस इश्क एक अच्छी फिल्म कही जा सकती है. आप भले ही पुनर्जन्म जैसी बातों पर विश्वास ना कर फिल्म को तवज्जो ना दें लेकिन करिश्मा कपूर के प्रशंसक इस फिल्म को जरूर देखना चाहेंगे.


ishqzadeइश्कजादे

निर्माता आदित्य चोपड़ा

निर्देशक – हबीब फैजल

संगीत – अमित त्रिवेदी

कलाकार – अर्जुन कपूर, परिनीति चोपड़ा


फिल्म की कहानी

इश्कजादे एक छोटे से शहर में गुंडागर्दी और लड़ाई के बीच पले दो लोगों की प्रेम कहानी है जिनका जन्म सिर्फ एक-दूसरे से नफरत करने के लिए ही होता है. लेकिन उनके भाग्य में नफरत नहीं प्रेम करना लिखा होता है. शक्ति और सिंहासन पाने के लिए वे दो जंगली जानवरों की तरह लड़ते हैं. एक ऐसे लड़ाई के मैदान में वे आमने-सामने हैं जहां नफरत, बदला, छल और गोलियों की आवाज है. परमा (अर्जुन कपूर) के आदर्श उसके दादा हैं. परमा की एक ही ख्वाहिश है कि वह अपने आपको दादा के आगे साबित करे कि वह योग्य है. अपने परिवार का नाम और ताकत का प्रदर्शन करना परमा को पसंद है. परमा के दादा अगला चुनाव लड़ने वाले हैं. अपने दादा को चुनाव जिताना परमा का एकमात्र उद्देश्य है. इसके लिए वह कुछ भी कर सकता है.


फिल्म समीक्षा


नए और उभरते हुए कलाकारों से बहुत अच्छा और प्रभावी अभिनय करने जैसी अपेक्षा तो नहीं की जा सकती. इसीलिए यह सोचकर फिल्म देखने मत जाइएगा कि फिल्म में प्रभावी अभिनय देखने को मिलेगा. फिल्म का प्रचार बहुत बढ़िया तरीके से किया गया लेकिन फिल्म देखने वाले लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर सकते हैं. परिणीती पहले एक फिल्म कर चुकी हैं लेकिन अर्जुन कपूर को अभी अभिनय के बारे में बहुत कुछ सीखना बाकी है. लचर स्क्रिप्ट और निर्देशन की वजह से फिल्म दर्शकों को बांध के रखने में पूरी तरह असफल साबित हुई है. लेकिन इश्कजादे का सबसे मजबूत पक्ष है इसके गानें.


डेंजरस इश्क को जहां करिश्मा कपूर की लोकप्रियता और उनका अभिनय सफलता दिलवा सकता है वहीं इश्कजादे के पीछे कई बड़े नाम तो हैं लेकिन फिल्म की कहानी और अभिनय दोनो कमजोर हैं. लेकिन हां, जो युवा सिर्फ टाइम पास के लिए फिल्म देखने जा रहे हैं उन्हें अर्जुन कपूर और परिणीति चोपड़ा जैसे कलाकार पसंद आएंगे.


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