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असलियत दिखाएगा पान सिंह तोमर: फिल्म कहानी और पूर्वालोकन

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Paan Singh Tomar: Story and Previews

यूं तो इन दिनों सिनेमाघरों में आपको ज्यादातर एक्शन और मसाला फिल्में ही देखने को मिल रही हैं लेकिन जल्द ही सिनेमाघरों में एक ऐसी फिल्म आने वाली है जो लोगों का सच से सामना कराएगी. हाल ही के समय में भारतीय एथलीटों की दुर्दशा आम जनता के सामने कई बार आई पर हर बार वह मात्र समाचार पत्रों की सुर्खियों में ही दब गई. लेकिन अब इस दबी आवाज को मिल गई है आवाज. “सिनेमा समाज का आइना होता है” यह कथन किसी ने बहुत सोच समझकर ही कहा होगा. सिनेमा एक बार फिर समाज को आइना दिखाने आया है “पान सिंह तोमर” के द्वारा.


एक सैनिक से खिलाड़ी और फिर डाकू बने पान सिंह पर आधारित उनकी यह फिल्म भारत में खिलाडि़यों की दयनीय स्थिति दिखाती है. पान सिंह तोमर भारतीय खेलों की त्रासदी को व्यक्त करती है. मूलत: यह खेल पर आधारित फिल्म है न कि डकैती पर. यह एक और गुमनाम हीरो की कहानी है.


फिल्मों में कई खेलों को दिखाया जाता रहा है, क्रिकेट और बॉक्सिंग तो हमेशा ही फिल्मों का हिस्सा बनते रहे हैं. लेकिन एथलेटिक्स को लेकर कम ही फिल्में बनी हैं. भारत में एथलीट्स अब भी बुरी दशा में रहते हैं और उन्हें अच्छी खुराक नहीं मिलती है. अगर हाल में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स को छोड़ दे तो भारत ने लंबे समय से एथलेटिक्स में कोई पदक नहीं मिला है और इसकी वजह यह है कि एथलीट्स की हालत बहुत दयनीय है. फिल्म उनकी इसी स्थिति को प्रमुखता से उभारेगी.


Paansingh TomarStory of the Movie

अभिनेता इरफान खान फिल्म के मुख्य किरदार में नजर आएंगे. यह फिल्म मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर से ताल्लुक रखने वाले पान सिंह तोमर के इर्द-गिर्द घूमती है. उन्होंने राष्ट्रीय खेलों में लगातार सात साल तक बाधा दौड़ में विजय हासिल की और अगले एक दशक तक कोई भी उनके रिकॉर्ड को नहीं तोड़ सका. खेलों से वापसी पर तोमर अपने गृह नगर लौट जाते हैं और एक सामाजिक अन्याय का शिकार होने के बाद चंबल घाटी में एक डाकू बन जाते हैं. वह एक पुलिस मुठभेड़ में मारे जाते हैं और फिल्म बताती है कि एक एथलीट के जीवन का अंत किस तरह होता है.


Who is Paan Singh Tomar: कौन है पान सिंह तोमर

पान सिंह तोमर चोर, डकैत या अपराधी नहीं थे बल्कि वह हालातों के मारे एक ऐसे इंसान थे जिन्हें इस सिस्टम ने बुरा बना दिया था.


1958 में पान सिंह ने धावक मुन्नस्वामी का राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ा था. पान सिंह लगातार अपने रिकार्ड बेहतर करते गए और उनका सर्वश्रेष्ठ रिकार्ड नौ मिनट दो सेंकड का रहा. गरीबी को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने स्टेपल चेज रनिंग (लंबी बाधा दौड़) में खुद की मंजिल तलाशी थी लेकिन व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन में उथल-पुथल आने की वजह से उनके जीवन में भटकाव आया जिससे बाद वह सेना की नौकरी और यह खेल छोड़ बागी बन गए.


पान सिंह के मुठभेड़ में मारे जाने की खबर से हम हतप्रभ हो गए थे क्योंकि कभी सोचा नहीं था कि इतने सारे रिकार्ड बनाने वाला यह खिलाड़ी जो रिकार्ड बनाने पर भी बहुत शांत चित्त रहता था, आगे चलकर उसका जीवन बदल जाएगा और उसके साथ यह सब कुछ होगा.


फिल्म 02 मार्च को रिलीज होगी.

(Read Paan Singh Tomar Story and Perviews on Jagran Junction. It Contains Full Story of the movie.)


साभार: जागरण याहू

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