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चाहे कहानी कितनी भी अच्छी हो पर अगर उसमें कलाकार की मेहनत ना दिखे तो वह कहानी बर्बाद हो जाती है. पंकज कपूर ने अपने लाडले बेटे शाहिद कपूर के गिरते हुए कॅरियर को ऊंचा करने के लिए बनाई “मौसम”. पर इस मौसम के शुरूआती रंग देखकर तो बिलकुल नहीं लगता कि यह शाहिद के कॅरियर को उतनी ही ऊंचाई देगी जितना ऊपर इस फिल्म में शाहिद हवाई जहाज उड़ाते हैं. अभिनेता पंकज कपूर के निर्देशन में बनी फिल्म मौसम एक प्रेम कहानी है जिसमें प्रेमी जोड़ा सामाजिक-राजनीतिक स्थितियों का सामना कर एक सुखद मुकाम पर पहुंचता है. फिल्म की कहानी पंकज कपूर ने ही लिखी है और अच्छा होता वह अपने लिए भी एक सशक्त किरदार रख लेते क्यूंकि फिल्म की कहानी में किसी भी सशक्त किरदार को दर्शक ढूंढ नहीं पाए.
फिल्म का नाम : मौसम
मुख्यकलाकार: शाहिद कपूर, सोनम कपूर, अदिति शर्मा, सुप्रिया पाठक और अनुपम खेर आदि.
निर्देशक: पंकज कपूर
निर्माता: शीतल विनोद तलवार, सुनील लुल्ला
कथा: पटकथा-संवाद- पंकज कपूर
गीत: इरशाद कामिल
संगीत: प्रीतम चक्रवर्ती
रेटिंग: **1/2
फिल्म की कहानी
चार मौसमों को छूती चार रंगों की यह कहानी आयत (सोनम कपूर) और हैरी (शाहिद कपूर) के जीवन के चार मोड़ों से गुजरती है. पंजाब के एक छोटे से गांव में उनका प्यार आरंभ होता है, लेकिन एक ऐतिहासिक घटना से वे अलग होते हैं. उनके मिलन और वियोग में प्यार की गहराइयों और इंतजार की जानकारी मिलती है. इस फिल्म में चार ऐतिहासिक घटनाओं का बैकड्राप है.
पहला सीजन शुरू होता है पंजाब के छोटे से गांव में रहने वाले वाले पंजाबी लड़के हैरी और कश्मीरी लड़की आयत के एक-दूसरे प्रति आकर्षित होने से. दोनों अवयस्क हैं.
सीजन दो में दोनों के बीच प्यार होता है. जब वे साथ नहीं होते तो उन्हें प्यार की गहराई का अहसास होता है. इसी दौरान हैरी विदेश चला जाता है.
सीजन तीन और चार में उनका प्रेम चरम पर पहुंचता है, लेकिन इसके पहले दोनों को कई बलिदान देने पड़ते हैं और कई सच्चाइयों से रूबरू होना पड़ता है. हैरी और आयत के प्रेम की पृष्ठभूमि में जिंदगी के कई रंग भी दिखलाई पड़ते हैं. फिल्म की कहानी इतनी तेज है कि दर्शकों को अपनी समझ को अत्याधिक विकसित करना पड़ता है.
फिल्म की समीक्षा
कितना अजीब लगता है ना जब आपका हीरो एक फाइटर प्लेन उड़ाने के साथ ही अपनी महबूबा के प्यार में कमजोर भी पड़ता दिखाई देता है. चार सीजन की यह कहानी दर्शकों को एक बार तो ढाई घंटे के लिए सिनेमाघरों में ला सकती है पर बार-बार नहीं. लेकिन हां, अगर आपने बहुत दिनों से पर्दे पर कोई साफ सुथरा लव अफेयर नहीं देखा है तो आपके लिए यह फिल्म एक मंजिल हो सकती है. “मौसम” में दो किरदारों के बीच के प्रेम को एक अर्से बाद साफ ढ़ंग से पेश किया गया है.
पंकज कपूर ने इस प्रेम कहानी के लिए 1992 से 2002 के बीच की अवधि चुनी है. इन दस-ग्यारह सालों में हरेन्द्र उर्फ हैरी और आयत तीन बार मिलते और बिछुड़ते हैं. उनका मिलना एक संयोग होता है, लेकिन बिछुड़ने के पीछे कोई न कोई सामाजिक-राजनीतिक घटना होती है. फिल्म में पंकज कपूर ने बाबरी मस्जिद, कारगिल युद्ध और अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के आतंकी हमले का जिक्र किया है.
कलाकारों का काम
पंकज कपूर ने पंजाब के हिस्से का बहुत सुंदर चित्रण किया है. हैरी और आयत के बीच पनपते प्रेम को उन्होंने गंवई कोमलता के साथ पेश किया है. गांव के नौजवान प्रेमी के रूप में शाहिद जंचते हैं और सोनम कपूर भी सुंदर एवं भोली लगती हैं.
फिल्म के अंतिम दृश्य बनावटी, नकली और फिल्मी हो गए हैं. एक संवेदनशील और भावुक प्रेम कहानी फिल्मी फार्मूले का शिकार हो जाती है. अचानक सामान्य प्रेमी हैरी हीरो बन जाता है. यहां पंकज कपूर बुरी तरह से चूक जाते हैं और फिल्म अपने आरंभिक प्रभाव को खो देती है.
फिल्म के गानें बेहद सुरीले और कानों को राहत पहुंचाने वाले हैं. एक लंबे अर्से बाद अगर आपको पर्दे पर शुद्ध प्रेम कहानी देखनी है तो फिर मौसम आपके लिए सही है लेकिन अगर आपको आज के जमाने का सिनेमा पसंद है तो यह फिल्म आपके टाइप की नहीं है.
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