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प्रकाश झा की एक और बेहतरीन पेशकश “आरक्षण”: फिल्म समीक्षा

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बॉलीवुड में सामाजिक मसलों पर बेहतरीन फिल्म बनाने का माद्दा अगर कोई रखता है तो वह हैं प्रकाश झा. “राजनीति”, “गंगाजल” और “अपहरण” जैसी सफल फिल्में बनाने के बाद एक बार फिर प्रकाश झा अपने दर्शकों के लिए एक बेहतरीन फिल्म ले कर आए हैं. प्रकाश झा की फिल्मों में आपको मेनस्ट्रीम सिनेमा के साथ-साथ हिन्दी फिल्मों का मसाला भी देखने को मिलता है और इनकी नई फिल्म आरक्षण में भी ऐसा ही है.


प्रकाश झा निर्देशित “आरक्षण” की कहानी में शिक्षा व्यवस्था में अवसर की असमानता और निजी व्यावसायिक हितों के लिए शिक्षा के आदर्शों की बलि जैसे गंभीर कथ्य को बुना गया है. इस फिल्म के रिलीज पर पहले ही काफी बवाल हो चुका है. यूपी, पंजाब और आंध्र प्रदेश में तो इसके प्रदर्शन पर रोक भी लगा दी गई है.


फिल्म का नाम: आरक्षण

कलाकार:अमिताभ बच्चन, सैफ अली खान, दीपिका पादुकोण, मनोज बाजपेयी, प्रतीक बब्बर.

निर्देशक: प्रकाश झा

निर्माता: फिरोज नाडियावाला और प्रकाश झा

संगीत निर्देशक: शंकर-अहसान-लॉय

रेटिंग:***1/5 (3.5)


Aarakshan Movie reviewफिल्म आरक्षण की कहानी

फिल्म भोपाल के एक नामी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. प्रभाकर आनंद (अमिताभ बच्चन) की है जो कई सालों से इस कॉलेज को अपने आदर्शवादी सिद्धांतों और सख्त नियमों से चलाते आ रहे हैं. डॉ. प्रभाकर आनंद (अमिताभ बच्चन) का लक्ष्य बिना किसी भेदभाव के हर वर्ग, धर्म और जाति के विद्यार्थी को बेहतर शिक्षा मुहैया कराना है. लेकिन शिक्षण संस्थानों में आरक्षण प्रणाली पर किए गए एक टिप्पणी की वजह से प्रभाकर आनंद को प्रिंसिपल के पद से हटाने का निर्णय आता है.


सिद्धांतवादी प्रभाकर के कॉलेज में दीपक कुमार (सैफ अली खान) बतौर शिक्षक कार्यरत हैं. दीपक प्रभाकर आनंद की बहुत इज्जत करता है और उनके लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहता है. प्रभाकर की पुत्री पूर्वी (दीपिका पादुकोण) से दीपक (सैफ अली खान) प्यार करता है. दीपक के साथ-साथ पूर्वी(दीपिका पादुकोण) कॉलेज के मित्र सिद्धार्थ (प्रतीक बब्बर) के भी बेहद करीब है. सिद्धार्थ ऊंची जाति से संबंध रखता है. जब प्रिंसिपल प्रभाकार आनंद शिक्षा में आरक्षण प्रणाली का समर्थन करते हैं तो सिद्धार्थ आनंद सर पर पक्षपात करने का आरोप लगाता है और उन के विरुद्ध खड़ा हो जाता है. इस फिल्म में मनोज बाजपेयी एक निगेटिव किरदार को निभा रहे हैं जो प्राइवेट ट्यूशन देता है और शिक्षा में आरक्षण के पूरी तरह से खिलाफ है.


प्रभाकर, दीपक, पूर्वी और सिद्धार्थ के रिश्तों का यह ताना-बाना तब बिखर जाता है जब देश के सामाजिक समीकरण को प्रभावित करने वाले आरक्षण के विवादास्पद मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सार्वजनिक होता है. और फिर प्यार, दोस्ती, संघर्ष और विश्वास के रोलर कोस्टर ड्रामा के बीच कहानी आगे बढ़ती है.


फिल्म आरक्षण की समीक्षा

अभिनय

फिल्म आरक्षण में अमिताभ बच्चन ने एक बार फिर अपनी बेहतरीन अदाकारी का प्रमाण दिया है. आदर्शवादी प्रिंसिपल डॉ. प्रभाकर आनंद के किरदार में अमिताभ बच्चन की अदाकारी आपको जरुर फिल्म मोहब्बतें के अमिताभ की याद दिला देगी.


Saif Ali Khan अगर सैफ अली खान के अभिनय की बात की जाए तो फिल्म ओंकारा के बाद दूसरी बार उन्होंने अपनी सशक्त और गंभीर अदाकारी का परिचय दिया है. दीपिका पादुकोण ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है. फिल्म में उन्होंने पूरी तरह एक छोटे से शहर की कॉलेज जाने वाली लड़की के किरदार में खुद को ढाला है. प्रतीक बब्बर ने एक बार फिर साबित किया है कि वह एक अच्छे एक्टर हैं. और निगेटिव रोल के किरदार में प्रकाश झा ने “राजनीति” के बाद दुबारा मनोज बाजपेयी को इस फिल्म में लिया और बाजपेयी उनकी कसौटी पर खरे उतरे.


फिल्म में अभिनय इतना बेहतरीन है कि आपको फिल्म एक सामाजिक हकीकत लगेगी. फिल्म के पहले हाफ में आरक्षण के मुद्दे को बहुत ही अच्छी तरह से उछाला गया है पर दूसरे हाफ में मुद्दा आरक्षण से हटकर निजी कोचिंग की तरफ चला गया है और फिल्म की यही एकमात्र कमजोर कड़ी है.


संगीत

फिल्म का संगीत पहले ही हिट हो चुका है. अमिताभ बच्चन, सैफ अली खान, दीपिका पादुकोण, मनोज बाजपेयी और प्रतीक बब्बर अभिनीत आरक्षण में प्रसून जोशी के गीतों को शंकर-एहसान-लॉय ने संगीत से सजाया है.


अगर आप गंभीर फिल्में देखने के शौकीन हैं और आपको फिल्म गंगाजल, राजनीति जैसी फिल्में अच्छी लगी हैं तो आपको “आरक्षण” देखने जरुर जाना चाहिए.


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